बदल लेंगे हम खुद को इतना, की तुम भी न पहचान पाओगे हमें।।
अगर कभी सोचोगे हमारे बारे में, हमें पूरी तरह अजनबी पाओगे।
- अजनबी शायरी हिंदी में – हम कुछ ना कह सके
- इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का
- जवाब शायरी हिंदी में – जुबां तो खोल नज़र तो
- इंकार शायरी हिंदी में – कभी खुलता ही नहीं
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अधूरा है मेरा इश्क़ तेरे
- सपने शायरी हिंदी में – अपनों ने इतनी उलझनों में
- उल्फत शायरी हिंदी में – राज़-ए-उल्फत सीने में हम लिए
- मौसम शायरी हिंदी में – कोहराम मचा रखा है जनवरी
Related Posts
हम कुछ ना कह सके उनसे, इतने जज्बातों के बाद, हम अजनबी के अजनबी ही रहे, इतनी मुलाकातो के बाद!
अजनबी था तो मेरे जवाबों पर तुम्हे यकीन था कम्बख्त जान का सबब बन गयी है ये जान पहचान
कल तक तो सिर्फ़ एक अजनबी थे तुम… आज दिल की हर एक धड़कन पर हुकूमत है तुम्हारी…
अजनबी कोई समझ लेता है, कोई अन्जान समझ लेता है, दिल है दीवाना, हर तबस्सुम को जान पहचान समझ लेता है
न जाने इतनी मोहब्बत कहाँ से आ गयी उस अजनबी के लिए, की मेरा दिल भी उसकी खातिर अक्सर मुझसे रूठ जाया करता है …..
मेरे अज़ीज़ ही मुझ को समझ न पाए हैं, हम अपना हाल किसी अजनबी से क्या कहते….
उसकी हर एक शिकायत देती है मुहब्बत की गवाही….. अजनबी से वर्ना कौन हर बात पर तकरार करता है…..
मैं तो खुद अपने लिए अजनबी हूँ तू बता मुझ से जुदा हो कर तुझे कैसा लगा
नहीं है अब कोई जुस्तजू इस दिल में ए सनम, मेरी पहली और आखिरी आरज़ू बस तुम हो।
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद कट रही है ज़िंदगी आराम से