सदाकत खुद-ब-खुद करती है शोहरत इस जमाने में..
कभी खुशबू भी कहती है,मुझे तुम सूंघ कर देखो……
- खुश्बू शायरी हिंदी में – हमारे सीने में भी
- इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का
- जवाब शायरी हिंदी में – जुबां तो खोल नज़र तो
- इंकार शायरी हिंदी में – कभी खुलता ही नहीं
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अधूरा है मेरा इश्क़ तेरे
- सपने शायरी हिंदी में – अपनों ने इतनी उलझनों में
- उल्फत शायरी हिंदी में – राज़-ए-उल्फत सीने में हम लिए
- मौसम शायरी हिंदी में – कोहराम मचा रखा है जनवरी
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हमारे सीने में भी खुशबू ने सिर रखा था हमारे हाथो में भी कभी फुलो की डाली थी
बड़ी ही खूबसूरत शाम हुआ करती थी वो तेरे साथ की ….. !! अब तक खुशबू नही गई, मेरी कलाई से तेरे हाथ की… !!
किनारे बैठी हूँ.. तेरी यादों के सहारे.. हर लहर इक एहसास जगाती है.. मुझे हवा से भी …तेरी ही खुशबू आती है..
शायद कायनात भी है गुलाम तुम्हारी, तभी तो हर बदलता मौसम लिए आता है खुशबू तुम्हारी…!!!
नहीं है अब कोई जुस्तजू इस दिल में ए सनम, मेरी पहली और आखिरी आरज़ू बस तुम हो।
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद कट रही है ज़िंदगी आराम से
तुम्हारा ज़िक्र, तुम्हारी तमन्ना, तुम्हारी याद, वक़्त कितना क़ीमती है इन दिनों…
मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलता दिल उस से मिला जिस से मुक़द्दर नहीं मिलता
बुला कर तुम ने महफ़िल में हमें ग़ैरों से उठवाया हमीं ख़ुद उठ गए होते इशारा कर दिया होता…
तुम्हारी याद और ‘सर्दियों’ का ये मौसम, ठिठुरते होंगे लोग..मैं तो सुलगता रहता हूँ।