तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने,
जरा हम भी तो देखें कौन चाहता है तुम्हें हमारी तरह।
- गुरूर शायरी हिंदी में – गुरूर हुस्न पे इतना ही
- इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का
- जवाब शायरी हिंदी में – जुबां तो खोल नज़र तो
- इंकार शायरी हिंदी में – कभी खुलता ही नहीं
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अधूरा है मेरा इश्क़ तेरे
- सपने शायरी हिंदी में – अपनों ने इतनी उलझनों में
- उल्फत शायरी हिंदी में – राज़-ए-उल्फत सीने में हम लिए
- मौसम शायरी हिंदी में – कोहराम मचा रखा है जनवरी
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गुरूर हुस्न पे इतना ही कर बुरा न लगे तू सिर्फ़ हुस्न की देवी लगे खुदा न लगे
कब्र की मिट्टी हाथ में लिए सोचता हूँ ; कि मरने के बाद गुरूर कहाँ जाता है!!
तु चल मेरे साथ आसमां तक इस चाँद का गुरूर तोडना है
साफ़ दामन का दौर तो कब का खत्म हुआ साहब….. अब तो लोग अपने धब्बों पे गुरूर करने लगे हैं….!
“नज़रे” झुकी हैं चेहरे पे “नूर” है…! जालिम की सादगी में भी कितना गुरूर है…!
क्यूँ ना गुरूर करता में अपने आप पे मुझे उस ने चाहा जिस के चाहने वाले हज़ारों थे !
उनका गुरूर ए हुस्न तो देखो…….. चेहरे पर तो नकाब है पर, आँखों मेँ शर्म का परदा तक नहीं..
गुरूर तो होना था उनको हमारी मोहब्बत की शिद्दत देख कर मगर वो इस गरूर की सोच में हमारी कीमत भूल गए …
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद कट रही है ज़िंदगी आराम से
तुम्हारा ज़िक्र, तुम्हारी तमन्ना, तुम्हारी याद, वक़्त कितना क़ीमती है इन दिनों…