इन हवाओं में आज ज़हर है,
जिन हवाओं में कल मेरा शहर था…!
- जहर शायरी हिंदी में – ये कैसा ज़हर फ़ज़ाओं में
- जहर शायरी हिंदी में – मैं लिपट जाऊं तेरे ख्वाब
- इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का
- जवाब शायरी हिंदी में – जुबां तो खोल नज़र तो
- इंकार शायरी हिंदी में – कभी खुलता ही नहीं
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अधूरा है मेरा इश्क़ तेरे
- सपने शायरी हिंदी में – अपनों ने इतनी उलझनों में
- उल्फत शायरी हिंदी में – राज़-ए-उल्फत सीने में हम लिए
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मैं लिपट जाऊं तेरे ख्वाब से नागिन की तरह, आ तू भी समां जा मुझमें जहर की तरह….
ये कैसा ज़हर फ़ज़ाओं में भर गया यारो हर एक आदमी क्यूँ इस क़दर अकेला है
पीते पीते ज़हर-ए-ग़म अब जिस्म नीला पड़ गया.. कुछ दिनों में देखना हम आसमां होने को हैं….!!
ज़हर से ज्यादा खतरनाक है ये मुहब्बत ज़रा सा कोई चख ले तो मर-मर के जीता है।
हमे पता था की उसकी मोहब्बत में ज़हर हैं ; पर उसके पिलाने का अंदाज ही इतना प्यारा था की हम ठुकरा ना सके !
तुम बहुत दिल-नशीन थे मगर……. जब से किसी और के हो गए हो….ज़हर लगते हो…..!!
इस शहर के लोगों में वफ़ा ढूँढ रहे हो, तुम जहर कि शीशी में दवा ढूँढ रहे हो..!!
मेरी उस मौत का मंजर भी हसीं होगा, तुम अपने लबों पे ज़हर रखो और मैं उसे चूमता रहूँ…
तेरे लहजे में लाख मिठास सही मगर, मुझे जहर लगता है तेरा औरों से बात करना….
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद कट रही है ज़िंदगी आराम से