तुम्हारी याद भी ‘मोहसिन’ किसी मुफ़लिस की पूंजी है
जिसे हम साथ रखते है जिसे हम रोज गिनते है
- तुम्हारी याद शायरी हिंदी में – बडी गुस्ताख है तुम्हारी याद
- तुम्हारी याद शायरी हिंदी में – टूट जायगी तुम्हारी जिद की
- तुम्हारी याद शायरी हिंदी में – तुम्हारी याद ऐसे महफूज़ है
- तुम्हारी याद शायरी हिंदी में – याद आने की वजह बहुत
- तुम्हारी याद शायरी हिंदी में – तुम्हारी याद और ‘सर्दियों’ का
- इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का
- जवाब शायरी हिंदी में – जुबां तो खोल नज़र तो
- इंकार शायरी हिंदी में – कभी खुलता ही नहीं
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तुम्हारा ज़िक्र, तुम्हारी तमन्ना, तुम्हारी याद, वक़्त कितना क़ीमती है इन दिनों…
तुम्हारी याद और ‘सर्दियों’ का ये मौसम, ठिठुरते होंगे लोग..मैं तो सुलगता रहता हूँ।
बडी गुस्ताख है तुम्हारी याद, इसे तमीज़ तो सीखा दो, दस्तक भी नहीं देती, और दिल मे उतर जाती है
टूट जायगी तुम्हारी जिद की आदत उस दिन जब पता चले गा कि याद करने वाला अब याद बन गया
तुम्हारी याद ऐसे महफूज़ है मेरे दिल मे, जैसे किसी गरीब ने रकम रक्खी हो तिजोरी में.!!
याद आने की वजह बहुत अजीब है तुम्हारी, तुम वो गैर थे जिसे मैने एक पल में अपना माना.
मुद्दतें हो गईं बिछड़े हुए तुम से लेकिन आज तक दिल से मिरे याद तुम्हारी न गई
पलट रही हैं सर्दियों की सुहानी रातें तुम्हारी याद में जलने के दिन आए…
अब बस तुम्हारी याद बाकी है.. औऱ जो तुमसे कहनी थी….. वो बात बाकी है…..
मुहब्बत की झुलसती धूप और काँटों भरे रस्ते तुम्हारी याद नंगे पाँव गर आई तो क्या होगा