मुकद्दर मे रात की नींद मुनासिब नहीं तो क्या हुआ,,
हम भी मुकद्दर को धोखा दे कर दिन मे सो जाते है.
- धोखा शायरी हिंदी में – फ़ासला नज़रों का धोखा भी
- इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का
- जवाब शायरी हिंदी में – जुबां तो खोल नज़र तो
- इंकार शायरी हिंदी में – कभी खुलता ही नहीं
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अधूरा है मेरा इश्क़ तेरे
- सपने शायरी हिंदी में – अपनों ने इतनी उलझनों में
- उल्फत शायरी हिंदी में – राज़-ए-उल्फत सीने में हम लिए
- मौसम शायरी हिंदी में – कोहराम मचा रखा है जनवरी
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फ़ासला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है वो मिले या न मिले हाथ बढा़ कर देखो….
हराकर कोई जान भी ले ले, मुझे मंजुर है,.. पर……. धोखा देने वालों को मै दुबारा मौका नही देता!
कौन है इस जहाँ मे जिसे धोखा नहीं मिला, शायद वही है ईमानदार जिसे मौक़ा नहीं मिला…
दर्द इतना था ज़िंदगी में कि धड़कन साथ देने से घबरा गयी!…. आंखें बंद थी किसी कि याद में ओर मौत धोखा खा गयी!….
इस कदर भूखा हूँ साहब, कभी कभी धोखा भी खा लेता हूँ!
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद कट रही है ज़िंदगी आराम से
तुम्हारा ज़िक्र, तुम्हारी तमन्ना, तुम्हारी याद, वक़्त कितना क़ीमती है इन दिनों…
मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलता दिल उस से मिला जिस से मुक़द्दर नहीं मिलता
बुला कर तुम ने महफ़िल में हमें ग़ैरों से उठवाया हमीं ख़ुद उठ गए होते इशारा कर दिया होता…
हमारे सीने में भी खुशबू ने सिर रखा था हमारे हाथो में भी कभी फुलो की डाली थी