नाराज़ शायरी हिंदी में – ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़ Rjain May 20, 2017 Uncategorized Comments ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़, मुझको आदत है मुस्कुराने की..