सारा जहाँ चुपचाप है..
आहटें ना साज़ है……..
क्यों हवा ठहरी हुई है……..
आप क्या नाराज़ है…….!!!
- इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का
- जवाब शायरी हिंदी में – जुबां तो खोल नज़र तो
- इंकार शायरी हिंदी में – कभी खुलता ही नहीं
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अधूरा है मेरा इश्क़ तेरे
- सपने शायरी हिंदी में – अपनों ने इतनी उलझनों में
- उल्फत शायरी हिंदी में – राज़-ए-उल्फत सीने में हम लिए
- मौसम शायरी हिंदी में – कोहराम मचा रखा है जनवरी
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अक्सर ठहर कर देखता हूँ
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यहाँ सब खामोश है कोई आवाज़ नहीं करता…. सच बोलकर कोई किसी को नाराज़ नहीं करता….
कहीं नाराज न हो जाए उपरवाला मुझ से, हर सुबह उठते ही, उससे पहले तुझे जो याद करता हूँ.
मुझे तो तुमसे नाराज होना भी नहीँ आता… न जाने तुम से कितनी मोहब्बत कर बैठा हूँ मै.!!
किसी से नाराजगी, इतने वक़्त तक न रखो के.. वो तुम्हारे बगैर ही, जीना सीख जाए…!
ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़, मुझको आदत है मुस्कुराने की..
जीना तो हमे भी बिंदास आता है.. लेकिन ज़िंदगी आजकल कुछ नाराज़ है हमसे…
“रिश्ता” दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं, “नाराजगी” शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं!
नाराज़गी भी मोहब्बत की बुनियाद होती हे, मुलाक़ात से भी प्यारी किसी की याद होती हे…
तुझ से नहीं तेरे वक़्त से नाराज हूँ… जो कभी तुझे मेरे लिए नहीं मिला…
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद कट रही है ज़िंदगी आराम से