दिल जो टूटा तो कई हाथ दुआ को उठे
ऐसे माहौल में अब किस को पराया समझूं l
- पराया शायरी हिंदी में – इस गुलिस्ताँ की यही रीत
- पराया शायरी हिंदी में – फ़लक़ पर जिस दिन चाँद
- इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का
- जवाब शायरी हिंदी में – जुबां तो खोल नज़र तो
- इंकार शायरी हिंदी में – कभी खुलता ही नहीं
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अधूरा है मेरा इश्क़ तेरे
- सपने शायरी हिंदी में – अपनों ने इतनी उलझनों में
- उल्फत शायरी हिंदी में – राज़-ए-उल्फत सीने में हम लिए
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फ़लक़ पर जिस दिन चाँद ना हो आसमाँ पराया लगता है… एक दिन जो घर में ‘माँ’ न हो तो घर पराया लगता है
इस गुलिस्ताँ की यही रीत है ऐ शाख़-ए-गुल तू ने जिस फूल को पाला वो पराया होगा
चाँदनी का बदन खुशबुओं का साया है बहुत अजीज हमें है, मगर पराया है
काँटों से दामन उलझाना मेरी आदत है दिल मे पराया दर्द बसाना मेरी आदत है
यूँ ज़िन्दगी से मेरे मरासिम हैं आज कल, हाथों में जैसे थाम ले कोई पराया हाथ
बडी साजिश हुई है मेरे साथ, कुछ अपनो ने ठग के पराया कर दिया है!
यह तेरा करम था की तूने मुझे अपना दीवाना बना दिया…..में खुद से था पराया तूने अपना बना लिया ….
सुनो – तुम्हारी बेरूखी ने ऐसा चमत्कार कर दिखाया है कि न मै अपना ही रहा न ही पराया बन पाया..!
नहीं है अब कोई जुस्तजू इस दिल में ए सनम, मेरी पहली और आखिरी आरज़ू बस तुम हो।
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद कट रही है ज़िंदगी आराम से