सख्त रास्तो पर भी आसान ये सफर लगता है
ये मुझे मेरी माँ की दुवावो का असर लगता है
- माँ शायरी हिंदी में – मेरी ख़्वाहिश है कि मैं
- इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का
- जवाब शायरी हिंदी में – जुबां तो खोल नज़र तो
- इंकार शायरी हिंदी में – कभी खुलता ही नहीं
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अधूरा है मेरा इश्क़ तेरे
- सपने शायरी हिंदी में – अपनों ने इतनी उलझनों में
- उल्फत शायरी हिंदी में – राज़-ए-उल्फत सीने में हम लिए
- मौसम शायरी हिंदी में – कोहराम मचा रखा है जनवरी
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मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
माँ के आँचल से जो लिपटी तो घुमड़कर बरसी मेरी पलकों में जो इक पीर पली मीलों तक
रोटी वो आधी खाती है बच्चे को पूरी देती है, मेरी हो या तुम्हारी दोस्तों, माँ सबकी माँ ही होती है
एक मुद्त से मेरी माँ नहीं सोई ताबिश में ने एक बार कहा था मुझे डर लगता है.
माँ ने आखरी रोटी भी मेरी थाली में परोस दी जानें क्यों फिर भी मंदिर में भगवान ढूढ़ता हूँ मैं माँ के दिल जैसा दूनियाँ में कोई दिल नहीं
रोली का टीका, चावल से माथे को सजाती है… माँ बलायें लेकर मेरी अपनी दीवाली मनाती है
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है, माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है।
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद कट रही है ज़िंदगी आराम से
तुम्हारा ज़िक्र, तुम्हारी तमन्ना, तुम्हारी याद, वक़्त कितना क़ीमती है इन दिनों…
मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलता दिल उस से मिला जिस से मुक़द्दर नहीं मिलता