मुद्दत के बाद उस ने जो की लुत्फ़ की निगाह
जी ख़ुश तो हो गया मगर आँसू निकल पड़े
- मुद्दत शायरी हिंदी में – खटखटाए न कोई दरवाजा बाद
- मुद्दत शायरी हिंदी में – मुद्दत हुई है बिछड़े हुए
- इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का
- जवाब शायरी हिंदी में – जुबां तो खोल नज़र तो
- इंकार शायरी हिंदी में – कभी खुलता ही नहीं
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अधूरा है मेरा इश्क़ तेरे
- सपने शायरी हिंदी में – अपनों ने इतनी उलझनों में
- उल्फत शायरी हिंदी में – राज़-ए-उल्फत सीने में हम लिए
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मुद्दत हुई है बिछड़े हुए अपने-आप से देखा जो आज तुम को तो हम याद आ गए
खटखटाए न कोई दरवाजा, बाद मुद्दत मैं खुद में आया हूँ… एक ही शख़्स मेरा अपना है, मैं उसी शख़्स से पराया हूँ.
मुद्दत हुई कि ज़िंदा हूँ देखे बग़ैर उसे वो शख़्स मेरे दिल से उतर तो नहीं गया
एक मुद्दत से तेरी याद भी आई न हमें और हम भूल गए हो तुम्हे ऐसा भी नही ।।
मुद्दत के बाद उसने जो आवाज़ दी मुझे कदमों की क्या बिसात थी साँसे ठहर गयीं।
बेरुख़ी इससे बड़ी और भला क्या होगी एक मुद्दत से हमें उस ने सताया भी नहीं
मुद्दत हो गयी, कोइ शख्स तो अब ऐसा मिले, बाहर से जो दिखता हो, अन्दर भी वैसा ही मिले.
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद कट रही है ज़िंदगी आराम से
तुम्हारा ज़िक्र, तुम्हारी तमन्ना, तुम्हारी याद, वक़्त कितना क़ीमती है इन दिनों…
मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलता दिल उस से मिला जिस से मुक़द्दर नहीं मिलता