छू जाती है तुम्हारी बाते,कितनी दफ़े यूँ ही ख़्वाब बन के,
कौन कहता है कि दूर रह कर मुलाक़ात नहीं होती।
- इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का
- जवाब शायरी हिंदी में – जुबां तो खोल नज़र तो
- इंकार शायरी हिंदी में – कभी खुलता ही नहीं
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अधूरा है मेरा इश्क़ तेरे
- सपने शायरी हिंदी में – अपनों ने इतनी उलझनों में
- उल्फत शायरी हिंदी में – राज़-ए-उल्फत सीने में हम लिए
- मौसम शायरी हिंदी में – कोहराम मचा रखा है जनवरी
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अक्सर ठहर कर देखता हूँ
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दिल साफ़ करके मुलाक़ात की आदत डालो, धूल हटती है तो आईने भी चमक उठते हैं..!
ना मुलाक़ात याद रखना, ना पता याद रखना, बस इतनी सी आरज़ू है, मेरा नाम याद रखना..
तू दिल पे बोझ लेके, मुलाक़ात को न आ मिलना है इस तरह, तो बिछड़ना क़ुबूल है
पहली मुलाकात थी और हम दोनों ही बेबस थे, वो अपनी जुल्फें न संभाल पाए और हम खुद को…
सोचता हूँ कुछ दोस्तों पर मुकदमा कर दूँ…! इसी बहाने तारीखों पर मुलाक़ात तो होगी….!!
न कोई फ़साना छेड़ा न कोई बात हुई कहने को कह लीजिये कि मुलाक़ात हुई
लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो
तेरे ज़िक्र भर से हो जाती है मुलाक़ात जैसे … तेरे नाम से इतनी मुहब्बत है हमको …
हर मुलाक़ात पे महसूस यही होता है मुझसे कुछ तेरी नज़र पूछ रही हो जैसे
नहीं है अब कोई जुस्तजू इस दिल में ए सनम, मेरी पहली और आखिरी आरज़ू बस तुम हो।