अपने किरदार को मौसम से बचाए रखना !
लौट कर फूलों में वापस नहीं आती खुशबू.”
- मौसम शायरी हिंदी में – कोहराम मचा रखा है जनवरी
- मौसम शायरी हिंदी में – कोई मुझ से पूछ बैठा
- मौसम शायरी हिंदी में – रुका हुआ है अज़ब धुप
- इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का
- जवाब शायरी हिंदी में – जुबां तो खोल नज़र तो
- इंकार शायरी हिंदी में – कभी खुलता ही नहीं
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अधूरा है मेरा इश्क़ तेरे
- सपने शायरी हिंदी में – अपनों ने इतनी उलझनों में
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रुका हुआ है अज़ब धुप छाँव का मौसम, गुज़र रहा है कोई दिल से बादलों की तरह..!!
कोहराम मचा रखा है जनवरी की सर्द हवावों ने.. और एक तेरे दिल का मौसम है जो बदलने का नाम ही नही लेता!!
कोई मुझ से पूछ बैठा ‘बदलना’ किस को कहते हैं? सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ ? “मौसम” की या “अपनों” की..!!!!!
बरसती बारिशों से बस इतना ही कहना है के इस तरह का मौसम मेरे अंदर भी रहता है
काश तुझे सर्दी के मौसम मे लगे मुहब्बत की ठंड, और तू तड़प कर माँगे मुझे कम्बल की तरह..!
वही है शाम वही खुशगवार मौसम फ़िर, मैं कर रहा हूँ मेरी ख़्वाहिशों का मातम फ़िर।।।
जैसा मूड़ हो वैसा मंजर होता है.. मौसम तो इंसान के अंदर होता है…
बलखाने दे अपनी जुल्फों को हवाओं में, जूड़े बांधकर तू मौसम को परेशां न कर.
तुम मौसम की तरह बदल रही हो,, मैं फसल की तरह बरबाद हो रहा हूँ..!!
नहीं है अब कोई जुस्तजू इस दिल में ए सनम, मेरी पहली और आखिरी आरज़ू बस तुम हो।