रूठना और मनाना दोस्ती का उसूल है…
वो दोस्त ही क्या जो रूठा ना हो…
- रूठना मनाना शायरी हिंदी में – अजीब दास्तां है ईश्क ए
- रूठना मनाना शायरी हिंदी में – रूठना भी है हसीनों की
- रूठना मनाना शायरी हिंदी में – इश्क की रिवायतों को निभाना
- रूठना मनाना शायरी हिंदी में – अब रूठना है ना मनाना
- रूठना मनाना शायरी हिंदी में – रूठना तेरा और मनाना मेरा….
- इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का
- जवाब शायरी हिंदी में – जुबां तो खोल नज़र तो
- इंकार शायरी हिंदी में – कभी खुलता ही नहीं
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रूठना तेरा और मनाना मेरा…. इक यही तो है बस ख़जाना मेरा….
अजीब दास्तां है ईश्क ए महोब्बत की भी कोई दिल तोड कर भी रूठना नही भुलता ओर कोई दिल तुडवा कर भी मनाना नही भुलता
रूठना भी है हसीनों की अदा में शामिल आप का काम मनाना है मनाते रहिए
इश्क की रिवायतों को निभाना नहीं आया मुझे रूठना नहीं आया तुम्हें मनाना नहीं आया…
अब रूठना है ना मनाना है, हदे तकल्लुफ से उबर जाना है
रूठना मनाना ये है इश्क़ का पहला उसूल सोच कर क़दम रखना हो गर तुम्हें ये क़ुबूल
कैसे उल्टे हैं मोहब्बत के ये रिवाज? रूठना चाहते थे हम पर उनको मनाना पड़ा!
जरूरी है रूठना और मनाना मोहब्बत में, कहते हैं इश्क़ जवां इन्ही अदाओं से रहता है।
सुनना है. सुनाना है. रूठना है. मनाना है. हँसाना है. रुलाना है. इस ज़िंदगी का हर लम्हा.. बस तुम्हारे साथ हीं बिताना है
नहीं है अब कोई जुस्तजू इस दिल में ए सनम, मेरी पहली और आखिरी आरज़ू बस तुम हो।