सावन शायरी हिंदी में – बनके सावन कहीं वो बरसते Rjain January 15, 2017 Uncategorized Comments बनके सावन कहीं वो बरसते रहे इक घटा के लिए हम तरसते रहे आस्तीनों के साये में पाला जिन्हें, साँप बनकर वही रोज डसते रहे