सितम पर सितम कर रहे हैं वह मुझ पर,
मुझे शायद अपना समझने लगे हैं
- इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का
- जवाब शायरी हिंदी में – जुबां तो खोल नज़र तो
- इंकार शायरी हिंदी में – कभी खुलता ही नहीं
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अधूरा है मेरा इश्क़ तेरे
- सपने शायरी हिंदी में – अपनों ने इतनी उलझनों में
- उल्फत शायरी हिंदी में – राज़-ए-उल्फत सीने में हम लिए
- मौसम शायरी हिंदी में – कोहराम मचा रखा है जनवरी
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अक्सर ठहर कर देखता हूँ
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दुश्मन के सितम का खौफ नहीं हमको, हम तो दोस्तों के रूठ जाने से डरते हैं……!!
करम के साथ सितम भी बला के रक्खे थे हर एक फूल ने काँटे छुपा के रक्खे थे
मुझ पर तू जो सितम करता है बेवफा समझकर, मैं भुला देता हूँ वो सब कुछ, तुझे खुदा समझकर …….
किसे फ़िक़र है ज़माने के ज़ुल्मो सितम की, दर्द अच्छे लगते है जब वो ज़ख्मो पे हाथ रखते है…
कहाँ तलाश करोगे तुम मुझ जैसा कोई….. जो तुम्हारे सितम भी सहे…. और तुमसे मुहब्बत भी करे ॥
मुझे मंजूर थे वक़्त के सब सितम मगर,, तुमसे मिलकर बिछड़ जाना ये सजा ज़रा ज्यादा हो गयी…!!!
मिजाज अच्छा है आज हमारा, ऐ दोस्त,,,,, सितम करना हो तो लौट आओ…..
ये ना पूछ कितनी शिकायतें हैं तुझसे ऐ ज़िन्दगी, सिर्फ इतना बता की तेरा कोई और सितम बाक़ी तो नहीं.
जब भी बही खाते निकलेंगे तेरे मेरे क़र्ज़ के ! तुझ पे मेरी मोहब्बत उधार निकलेगी और मुझ पे तेरे सितम !!
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद कट रही है ज़िंदगी आराम से