जिन्दगी बैठी थी अपने हुस्न पै फूली हुई,
मौत ने आते ही सारा रंग फीका कर दिया………..
- हुस्न शायरी हिंदी में – हुस्न हर बार शरारत में
- हुस्न शायरी हिंदी में – हुस्न का क्या काम सच्ची
- इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का
- जवाब शायरी हिंदी में – जुबां तो खोल नज़र तो
- इंकार शायरी हिंदी में – कभी खुलता ही नहीं
- तेरे बिना शायरी हिंदी में – अधूरा है मेरा इश्क़ तेरे
- सपने शायरी हिंदी में – अपनों ने इतनी उलझनों में
- उल्फत शायरी हिंदी में – राज़-ए-उल्फत सीने में हम लिए
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हुस्न हर बार शरारत में पहल करता है, बात बढती है तोह इश्क के सर आती है…
हुस्न का क्या काम सच्ची मोहब्बत में, जब आँख ”मजनू” हो, तो ”लैला ” हसीन ही लगती है …!
इश्क पे मुकदमा कर के क्या मिल जायेगा, जनाब-ऐ-हुस्न को पकड़ो, जो फसाद की जड़ है !!
फिर से ले जाये मेरी ज़ात से तू इश्क़ उधार और मैं फिर से तेरे हुस्न पे बाक़ी हो जाऊँ…
आईने में वो देख रहे थे बहार-ऐ-हुस्न आया मेरा ख्याल तो शर्मा के रह गये
झुकी नज़रों में क़यामत का असर होता है हुस्न कुछ और निखर जाता है शर्माने से
लोग समझते हैं के मैं तुम्हारे हुस्न पर मरता हूँ.. अगर तुम भी यही समझते हो तो सुनो.. जब हुस्न खो दो तब लौट आना…
तेरे रुखसार से ही जल जाती है सिगरेट मेरी, इस आतिशी हुस्न ने माचिस की बचत कर दी !!
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद कट रही है ज़िंदगी आराम से
तुम्हारा ज़िक्र, तुम्हारी तमन्ना, तुम्हारी याद, वक़्त कितना क़ीमती है इन दिनों…