तुम जो मिल गए हो, तो ये लगता है
के जहां मिल गया
एक भटके हुए राही को, कारवां मिल गया
बैठो ना दूर हम से, देखो खफा ना हो
किस्मत से मिल गए हो, मिल के जुदा न हो
मेरी क्या खता है, होता है ये भी
के जमीं से भी कभी, आसमां मिल गया
तुम क्या जानो, तुम क्या हो
एक सुरीला नग्मा हो
भीगी रातों में मस्ती, तपते दिल पे साया हो
अब जो आ गए हो, जाने ना दूंगा
के मुझे एक हँसी, मेहरबा मिल गया
तुम भी थे खोये खोये, मैं भी बुझा बुझा
था अजनबी ज़माना, अपना कोई न था
दिल को जो मिल गया है, तेरा सहारा
एक नई जिन्दगी का, निशां मिल गया