Ameer Qazalbash Shayari – Ik Parinda Abhi Udaan Mein Hai

इक परिंदा अभी उड़ान में है
तीर हर शख़्स की कमान में है

जिस को देखो वही है चुप चुप सा
जैसे हर शख़्स इम्तिहान में है

– अमीर क़ज़लबाश

इम्तेहान शायरी हिंदी में – अये वक़्त मेरे सब्र का

अये वक़्त मेरे सब्र का इतना इम्तेहान न ले
याद रख
मैंने जो ठोकर मारी तुझे
तो तू कभी लौट के न आ पायेगा

इम्तेहान शायरी हिंदी में – मैं इस उम्मीद पर डूबा

मैं इस उम्मीद पर डूबा के तू बचा लेगा
अब इससे ज्यादा मेरा इम्तेहान क्या लेगा
मैं बुझ गया तो हमेशा के लिए बुझ ही जाऊँगा
कोई चिराग नहीं हूँ के फिर जला लेगा



इम्तेहान शायरी हिंदी में – यूँ ही नहीं मिलती रब

यूँ ही नहीं मिलती रब की मेहरबानी
एक से बढ़कर एक इम्तेहान बाकी है …
जिंदगी की जंग में है हौसला जरुरी
जीतने के लिए सारा जहान बाकी है ॥

इम्तेहान शायरी हिंदी में – उसे ग़ुरूर आ गया मुझे

उसे ग़ुरूर आ गया मुझे गुमान आ गया
दर्मियान ख़ामख़्वाह इम्तेहान आ गया



इम्तेहान शायरी हिंदी में – ज़िन्दगी की असली उड़ान बाकी

ज़िन्दगी की असली उड़ान बाकी है
ज़िन्दगी के कई इम्तेहान बाकी है
अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीन
अभी तो सारा आसमान बाकी है

इम्तेहान शायरी हिंदी में – ना चाहते हुये भी छोड़

ना चाहते हुये भी छोड़ कर आना पड़ा उसे,
वो “इम्तेहान” में ना आते हुये सवालों की तरह था.