गैर शायरी हिंदी में – दर्द का सबब बढ़ जाता

दर्द का सबब बढ़ जाता है और भी,
जब तेरे होते हुए भी गैर हमें तसल्ली देते है….!!!



गैर शायरी हिंदी में – जिक्र तेरा हुआ तो हम

जिक्र तेरा हुआ तो हम महफ़िल छोड़ आये,,,
हमें गैरों के लबों पे तेरा नाम
अच्छा नहीं लगता….



गैर शायरी हिंदी में – मैने कब कहा मुझे गुलाब

मैने कब कहा मुझे गुलाब दे
या फिर मुहब्बत से आवाज दे

आज बहुत उदास है दिल मेरा
गैर बन के ही सही मगर मुझे तू आवाज दे

गैर शायरी हिंदी में – कभी तुम मुझे अपना तो

कभी तुम मुझे अपना तो कभी गैर करते गये,
देख मेरी नादानी हम सिर्फ तुम्हे अपना कहते गये…!!