बेरूख़ी शायरी हिंदी में – फेर कर मुंह आप मेरे

फेर कर मुंह आप मेरे सामने से क्या गये,
मेरे जितने क़हक़हे थे आंसुओं तक आ गये,
भला ऐसी भी सनम आख़िर बेरुख़ी है क्या ?
न देखोगे हमारी बेबसी क्या…….?



बेरूख़ी शायरी हिंदी में – सालभर….तेरी बेरूखी से कत्ल होते

सालभर….तेरी बेरूखी से कत्ल होते रहे हैं हम,
अब तो तहरीरें बन गई है…उदासियाँ गुजरे साल की।



बेरूख़ी शायरी हिंदी में – इस बेरूखी पे आपकी यूं

इस बेरूखी पे आपकी यूं आ गई हंसी
आंखें बता रही हैं ज़रा सी हया तो है !