हिचकी शायरी हिंदी में – दो जवाँ दिलों का ग़म

दो जवाँ दिलों का ग़म दूरियाँ समझती हैं
कौन याद करता है हिचकियाँ समझती हैं।
तुम तो ख़ुद ही क़ातिल हो, तुम ये बात क्या जानो
क्यों हुआ मैं दीवाना बेड़ियाँ समझती हैं।

हिचकी शायरी हिंदी में – मेरी जिंदगी में तेरी दखलंदाजी की

मेरी जिंदगी में तेरी
दखलंदाजी की आदत गई
नही.. साँसों में भी रुकावट
डालती हो.. हिचकियां बनकर ..!!