Ahmad Faraz Sher O Shayari – हमारे बाद नहीं आएगा तुम्हे

हमारे बाद नहीं आएगा तुम्हे चाहत का ऐसा मज़ा फ़राज़
तुम लोगों से खुद कहते फिरोगे की मुझे चाहो तो उसकी तरह

कसूर नहीं इसमें कुछ भी उनका फ़राज़
हमारी चाहत ही इतनी थी की उन्हें गुरूर आ गया



Ahmad Faraz Sher O Shayari – हम ने सुना था की दोस्त

हम ने सुना था की दोस्त वफ़ा करते हैं फ़राज़
जब हम ने किया भरोसा तो रिवायत ही बदल गई



Ahmad Faraz Sher O Shayari – हज़ूम ए गम मेरी फितरत

हज़ूम-ए-गम मेरी फितरत बदल नहीं सकती “फराज़”,
मैं क्या करूं मुझे आदत है मुसकुराने की

वो ज़हर देता तो दुनीया की नज़रों में आ जाता “फराज़”
सो उसने यूँ किया के वक़्त पे दवा न दी

Ahmad Faraz Sher O Shayari – हजूम ए दोस्तों से जब

हजूम ए दोस्तों से जब कभी फुर्सत मिले
अगर समझो मुनासिब तो हमें भी याद कर लेना