एक बोसे के तलबगार हैं हम
और माँगें तो गुनहगार हैं हम
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बोसा शायरी हिंदी में – मिल गए थे एक बार
मिल गए थे एक बार उस के जो मेरे लब से लब
उम्र भर होंटों पे अपने मैं ज़बाँ फेरा किए
बोसा शायरी हिंदी में – दिखा के जुम्बिश-ए-लब ही तमाम
दिखा के जुम्बिश-ए-लब ही तमाम कर हम को
न दे जो बोसा तो मुँह से कहीं जवाब तो दे
बोसा शायरी हिंदी में – ले लो बोसा अपना वापस
ले लो बोसा अपना वापस किस लिए तकरार की
क्या कोई जागीर हम ने छीन ली सरकार की
बोसा शायरी हिंदी में – बोसा-ए-रुख़्सार पर तकरार रहने दीजिए
बोसा-ए-रुख़्सार पर तकरार रहने दीजिए
लीजिए या दीजिए इंकार रहने दीजिए