
Tere Husn Ki Kya Tareef Karu Shayari, Mohabbat Shayari
तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करू,
कुछ कहते हुए भी डरता हूँ…
कही भूल से तू ना समझ बैठे,
के मैं तुझ से मोहब्बत करता हूँ…
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तेरे हुस्न को किसी परदे की ज़रूरत ही क्या है,
कौन रहता है होश में तुझे देखने के बाद।